वैदिक शास्त्रों के अनुसार सूर्य ग्रहण के अर्थ है वह समय जब राहु नामक ग्रह सूर्य को ढक लेता है । यह समय अशुभ और अशुद्ध माना जाता है । इसलिए इसके दुष्प्रभाव से बचने के लिए ग्रहण के समय आध्यात्मिक कार्य करने चाहिए । ग्रहण के समय और उसके पश्चात कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए।
- June 21st, 2020 सूर्य ग्रहण है (समय प्रातः 10:04 am – 1:32 pm)
१. सभी भक्त ग्रहण से ३ घंटा पहले कुछ भी न खाये।
२. ग्रहण के समय सोना उपयुक्त नहीं है, अतः अधिकांश समय भगवान का कीर्तन, नाम जाप, या भगवद्गीता अध्ययन में व्यतीत करे।
३. ग्रहण के बाद स्नान करके भगवान के लिए भोग बनाये और उसके पश्चात् प्रसादम प्राप्त करे।
ग्रहण के दौरान रसोई घर में पालन करने के लिए दिशानिर्देश:
कुश / दरभा घास से खाद्य पदार्थों का संरक्षण । (कुश या दर्भा घांस पूजा सामग्री की दुकान पर उपलब्ध होती है)
१. कच्चे चावल, कच्ची दाल, गेहूं आदि जैसे प्रावधान शुद्ध रहते हैं और दरभा / कुशा घास डालने की कोई आवश्यकता नहीं है।
२. चावल, दाल, सब्ज़ी जैसी पकी वस्तुएं दूषित हो जाती हैं और इसलिए उन्हें ग्रहण से पहले इस्तेमाल किया जाना चाहिए। यदि उपयोग नहीं किया जाता है, तो ग्रहण के बाद उन्हें छोड़ दिया जाना चाहिए क्योंकि वे दूषित हो जाते हैं। उन्हें दरभा द्वारा भी संरक्षित नहीं किया जा सकता है।
३. पके हुए नॉनपेरिशबल आइटम को दरभा के साथ संरक्षित किया जा सकता है। Ex: सभी तली हुई चीजें जैसे खाजा, मिश्रण,बिस्किट, ब्रेड आदि।
४. दूध, दही, पानी को दरभा के उपयोग से संरक्षित किया जा सकता है; अन्यथा वे भी दूषित हो जाते हैं और हमें उन्हें त्यागना होगा।
ग्रहण के दौरान आल्टर या पूजा कक्ष में दिशानिर्देशों का पालन किया जाना चाहिए।
१. ग्रहण समाप्त होने के तुरंत बाद भक्तों को तुरंत स्नान करना चाहिए, और स्वच्छ कपड़े पहनकर पूजा कक्ष में आना चाहिए।
२. जो पुष्प भगवान् को अर्पण नहीं हुए हैं उन्हें शुद्ध रखने के लिए में दरबा घास डालें।
३. ग्रहण समाप्त होने के बाद पानी में गोमूत्र या गोबर डालकर पूजाघर और भगवान् के मंडप को पोछना चाहिए।
४. स्थायी पानी का गिलास एवं आचमन कप को धोया जाना चाहिए और ताजा पानी भरना चाहिए।
५. भगवान् की आरती प्लेट सुबह, ग्रहण प्रारम्भ होने से पहले ही धोकर रख दें।
धन्यवाद।
According to Vedic scriptures, solar eclipse means the time when a planet named Rahu covers the sun. This time is considered inauspicious and impure. Therefore, to avoid its side-effects, spiritual activites should be performed at the time of eclipse. Some precautions should be taken at the time of eclipse and thereafter.
- June 21st, 2020 Solar eclipse is (Time 10:04 am - 1:32 pm)
1. Do not eat anything 3 hours before the eclipse.
2. Sleeping at the time of eclipse is not appropriate, so spend the majority of time in the Lord's Kirtan, Naam Jaap, or Bhagavad Gita study.
3. After the eclipse, take bath and make bhog for the Lord and after that honor Prasadam.
Guidelines to follow in the kitchen during the eclipse:
Protecting the food items by Kush / Darbha grass. (Kusha or Darbha grass are available at pooja shop)
1. Provisions like raw rice, raw pulses, wheat etc. remain pure and there is no need to add Darbha / Kusha grass to these items.
2. Cooked items like rice, lentils, vegetables get contaminated and therefore should be used before eclipse. If not used, they should be discarded after the eclipse as they become contaminated. They also cannot be protected by Darbha.
3. Cooked nonperishable items can be preserved by adding darbha grass. Ex: All fried items like Khaja, Blend, Biscuits, Bread etc.
4. Milk, curd, water can be preserved with the use of Darbha; Otherwise they also get contaminated and we have to discard them.
Guidelines should be followed in the altar or puja room during the eclipse.
1. The devotees should bathe immediately after the eclipse ends, and wear clean clothes and enter the worship place.
2. To keep the unoffered flowers in pure state during the eclipse, add darbha grass.
3. After the eclipse is over, one should wipe the altar mandapa of God by putting cow urine or cow dung in the water.
4. Permanent water glass & achman cup should be washed and fresh water should be filled.
5. The arati plate should be washed in the morning itself, before the eclipse starts.