Who Are The Ashtasakhis

Who Are The Ashtasakhis

श्री राधा कृष्ण की प्रेममय सेवा में अनेकानेक गोपियाँ पूरे भाव से लगी रहती हैं। इनमें से आठ सखियाँ "वरिष्ठ" या सर्वोच्च मानी जाती हैं और इन्हें अष्टसखी कहा जाता है। श्री राधा कृष्ण गणोद्देश दीपिका में श्रील रूप गोस्वामी इनका विवरण देते हैं।

सभी गोपियों में वरिष्ठ सखियाँ  (अष्टसखी ) सुप्रसिद्ध हैं और वे निपुणता से राधा कृष्ण की युगल लीलाओं में सहायता करती हैं। राधा कृष्ण के प्रति उनका प्रेम अतुलनीय है । यह अष्टसखियाँ हैं - ललिता, विशाखा, चित्रा, चम्पकलता , तुंगविद्या , इन्दुलेखा , रंगदेवी और सुदेवी।

 

1. ललिता देवी
ललिता देवी अष्टसखियों में सर्वोच्च हैं। वे श्रीमती राधारानी से 27 दिन बड़ी हैं। उनका वर्ण (रंग) गोरोचन के समान उज्ज्वल पीला है और वस्त्र मयूर पूँछ के रंग के हैं । वे राधा कृष्ण को ताम्बूल अर्पण करती हैं।

2. विशाखा
विशाखा स्वभाव, गुण और संकल्प में राधारानी के समान हैं। उनका जन्म राधारानी के जन्म के समय ही हुआ था। उनका वर्ण विद्युत् के समान है और वे नीले वस्त्र पहनती हैं। वे श्री राधा कृष्ण को गंध-चन्दन अर्पण करती हैं।

3. चम्पकलता
चम्पकलता राधारानी से आयु में केवल एक दिन छोटी हैं। उनका वर्ण चम्पक फूल के समान है।  और उनके वस्त्र नीलकंठ पक्षी के समान नीले हैं।  वे श्री राधा कृष्ण को चामर सेवा अर्पण करती हैं।

4. चित्रा
उन्हें सुचित्रा भी कहा जाता है ।  वे राधारानी से आयु में 26 दिन छोटी हैं। उनका वर्ण सुनहरा है और उनके वस्त्र स्फटिक के समान हैं। वे सदा कृष्णानंद में तल्लीन रहती हैं।

5. तुंगविद्या
तुंगविद्या राधारानी से 5 दिन बड़ी हैं। उनके देह से सदा कर्पूर और चन्दन की मोहक सुगंध आती है। उनक वर्ण कुमकुम जैसा है और वे हलके पीले वस्त्र धारण करती हैं। वे वाद्य यंत्रों में निपुण हैं।

6. इन्दुलेखा 
वे राधारानी से 3 दिन छोटी हैं।  उनका वर्ण उज्ज्वल पीला है और वस्त्र अनार के फूल की तरह चटक लाल हैं। वे नृत्यकला में निपुण हैं और श्री राधा कृष्ण के आनंद के लिए नर्तन करती हैं। 

7. रंगदेवी
रंगदेवी राधारानी से 7 दिन छोटी हैं। उनका वर्ण कमल के पराग जैसा पीला है और वस्त्र लाल हैं। वे निपुण गायिका हैं और विभिन्न रागों में पारंगत हैं।

8. सुदेवी
सुदेवी रंगदेवी की जुड़वा बहन हैं। वे मृदुल स्वभाव की हैं और रूप एवं गुण में रंगदेवी जैसी ही हैं। कदाचित उन्हें रंगदेवी भी समझ लिया जाता है। वे राधा कृष्ण को अमृत पेय अर्पण करती हैं। 

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