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शास्त्रों में कार्तिक मास की सर्वश्रेष्ठ और सबसे मंगलकारी मास के रूप में स्तुति की गई है। यह दामोदर मास भी कहलाता है । इस महीने में भगवान् कृष्ण की कृपा सुगमता से प्राप्त होती है ।
भक्तिरसामृत सिंधु में श्रील प्रभुपाद बताते हैं (पद्म पुराण में उल्लेखित):
वृन्दावन में इस महीने में भगवान् कृष्ण की उनके दामोदर रूप में प्रतिदिन पूजा करने के विधान है। दामोदर भगवान् कृष्ण का वह बालयस्वरूप है जब उन्हें उनकी माता, यशोदा ने रस्सी से बांध दिया था। ‘दाम’ का अर्थ है रस्सी और ‘उदर’ का अर्थ है पेट। माता यशोदा ने भगवान् कृष्ण की शरारतों से तंग होकर उन्हें पेट से रस्सी द्वारा बांध दिया, इसलिए उनका नाम दामोदर पड़ा। जिस प्रकार भगवान् दामोदर भक्तों को अत्यंत प्रिय हैं, उसी प्रकार यह दामोदर या कार्तिक कहलाने वाला मास भी भक्तों को अत्यंत प्रिय है ।
भगवान् कृष्ण कहते हैं, "समस्त वनस्पतियों में पवित्र तुलसी मुझे सबसे प्रिय है, और समस्त मासों में कार्तिक सबसे प्रिय है। सभी तीर्थों में मेरी इष्ट द्वारका सर्वाधिक प्रिय है और सारी तिथियों में एकादशी सबसे प्रिय है।" (पद्म पुराण, उत्तर खंड 112.3 )
न कार्तिक समो मासो न कृतेन समं युगं
न वेद सदृशं न तीर्थ गङ्गया समं
कार्तिकः प्रवरो मासो वैष्णवानां प्रिय सदा
कर्तिकं स्कलम् यस्तु भक्त्या सेवते वैष्णवः
कार्तिक के समतुल्य कोई महिना नहीं है और सत्ययुग के समान कोई युग नहीं है नहीं है। वेदों के समान कोई शास्त्र नहीं है। गँगा के समान कोई तीर्थ नहीं है। महीनों माँ प्रमुख कार्तिक महीना, वैष्णवों को सदा प्रिय है, इसलिए वैष्णव इस महीने में पूरी भक्ति भावना के साथ भगवान् की सेवा करते हैं। (हरी भक्ति विलास (16/39, 40)
द्वादशु अपि मासेषु कार्तिकः कृष्ण वल्लभः तस्मिन्
संपूजितो विष्णुः अल्पकैरपि उपयनैः ददाति
वैष्णवानां लोकं इति एवं निश्चितम् मया
बारह महीनों में कार्तिक का महीना भगवान् कृष्ण को अत्यंत प्रिय है । कोई इस महीने में भगवान् श्री हरि की किसी भी उपाय से थोड़ी भी पूजा करता है तो वे उसे अपने धाम में वास देते हैं । यह सत्य है । (हरी भक्ति विलास (16/41)
यदि इस महीने में कोई भगवान् कृष्ण की थोड़ी भी सेवा करता है तो वे सहजता से प्रसन्न जाते हैं। इस पुरे महीने इन नियमों का पालन करना चाहिए
1. जप - प्रतिदिन हरे कृष्ण महामंत्र का काम से काम 108 बार जप।
2. दीप अर्पण करना - प्रतिदिन भगवान् कृष्ण को दीप अर्पण करना चाहिए
3. एकादशी के व्रत का पालन
4. तुलसी देवी की पूजा एवं उनकी 3 बार प्रदिक्षणा
5. दमोदराष्टक का गायन - प्रतिदिन भगवान् दामोदर की आराधना करनी चाहिए और दामोदराष्टक प्रार्थना का पाठ या गायन करना चाहिए।
The Vedic scriptures praise the auspicious month of Kartik as the topmost and most meritorious of all the months. It is also known as the month of Damodara. Lord Krishna’s mercy is very easily accessible in this month.
Srila Prabhupada writes in Nectar of Devotion (quoting Padma Purana):
“During this month, in Vrndavana it is the regulative principle to pray daily to Lord Krishna in His Damodara form. The Damodara form refers to Krishna in His childhood when He was tied up with rope by His mother, Yashoda. Dama means ‘ropes,’ and udara means ‘the abdomen.’ So mother Yasoda, being very disturbed by naughty Krsna, bound Him round the abdomen with a rope, and thus Krishna is named Damodara.” It is said that just as Lord Dāmodara is very dear to His devotees, so the month known as Dāmodara or Kārttika is also very dear to them.
Lord Krishna say:"Of all plants, the sacred Tulasi is most dear to Me, of all months, Kartik is most dear, of all places of pilgrimage, My beloved Dvaraka is most dear, and of all days, Ekadashi is most dear." (Padma Purana, Uttara Khanda 112.3)
na kartika samo maso na krtena samam yugam
na veda sadrsam na tirtha gangaya samam
kartikah pravaro maso vaisnavanam priyah sada
kartikam skalam yastu bhaktya sevate vaisnavah
There is no other month equal to Kartika and there is no yuga equal to Satya-yuga. There is no scripture equal to the Vedas. There is no place of pilgrimage equal to Ganges. Kartika is the chief of all months and is very dear to the vaishnavas (devotees of Vishnu). Therefore, the Vaisnavas serve the Supreme Lord with great devotion in this month. (Hari Bhakti Vilasa 16/39,40)
dvadasu api masesu kartikah krsna vallabah tasmin
sampujito visnur alpakair apy upayanaih dadati
vaisnavanam lokam iti evam niscitam maya
Among all twelve months, Kartika month is very dear to Lord Krsna. If somebody performs a little worship of Lord Sri Hari in this month by whatever means, He offers that devotee His own abode. This statement is true. (Hari Bhakti Vilasa 16/41)
Krishna is very easily pleased by someone who renders even little devotional service to him during this month. One should observe the following rules throughout this month.
- Chanting – chant Hare Krishna Mahamantra at least 108 times daily
- Offering lamp – daily offer a lamp to Lord Krishna.
- Observe Eakdashi – abstain from eating grains on Ekadashis
- Worship Tulasi and circumambulate Tulasi three times
- Recite Damodarashtak prayers – everyday worship Lord Damodara and sing or recite Damodarashtak.